Income Tax New2025: क्या आप भी इस सवाल से परेशान हैं कि आने वाले साल 2025 के लिए आपको आयकर का नया सिस्टम चुनना चाहिए या पुराना वाला? हर साल की तरह, इस बार भी टैक्स भरने का समय आते ही यह सवाल हर किसी के दिमाग में घूमने लगता है। एक गलत फैसला आपकी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में चुका सकता है। लेकिन घबराइए नहीं, क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए हैं नए और पुराने टैक्स सिस्टम की पूरी जानकारी, जिसे पढ़कर आप खुद ही आसानी से तय कर पाएंगे कि आपके लिए कौन सा रास्ता बेहतर है।
इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें, क्योंकि यहां हम आपको दोनों सिस्टम को बहुत ही आसान भाषा में समझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि किस आमदनी वाले लोगों के लिए नया सिस्टम फायदेमंद है और किनके लिए पुराना। साथ ही, हम दोनों के फायदे और नुकसान पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे। यहां आपको पूरी जानकारी एक ही जगह मिल जाएगी, जिससे आप बिना किसी परेशानी के सही फैसला ले सकेंगे। तो चलिए, शुरू करते हैं।
आयकर नया और पुराना सिस्टम: बुनियादी जानकारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत सरकार ने टैक्सपेयर्स को दो विकल्प दिए हैं: नया टैक्स सिस्टम और पुराना टैक्क सिस्टम। नया सिस्टम कम टैक्स स्लैब देता है लेकिन इसमें ज्यादातर छूट और बचत के रास्ते बंद हैं। वहीं, पुराना सिस्टम थोड़ा ज्यादा टैक्स स्लैब रखता है, मगर इसमें आप घर का किराया, एलआईसी, पीपीएफ, मेडिकल बीमा जैसी कई चीजों पर बचत का दावा कर सकते हैं। आपको बता दें, अब नया सिस्टम डिफॉल्ट हो गया है, यानी अगर आप कोई फैसला नहीं लेते, तो आटोमेटिकली नए सिस्टम के हिसाब से आपका टैक्स कैलकुलेट होगा।
नए टैक्स सिस्टम की खास बातें
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए टैक्स सिस्टम को ज्यादा आसान और सीधा बनाने के लिए लाया गया है। इसमें टैक्स स्लैब को कम किया गया है, जिससे एक तरह की स्पष्टता आई है।
- कम टैक्स दर: इसमें टैक्स की दरें कम हैं, जिससे 7.5 लाख तक की आमदनी वाले ज्यादातर लोगों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
- छूट का अभाव: इस सिस्टम में आप HRA, होम लोन पर ब्याज (Section 24), LIC प्रीमियम (Section 80C), और हेल्थ इंश्योरेंस (Section 80D) जैसी बचत पर कोई भी फायदा नहीं ले सकते।
- डिफॉल्ट विकल्प: अगर आप कोई चुनाव नहीं करते हैं, तो आपको इसी सिस्टम के तहत टैक्स भरना होगा।
पुराने टैक्स सिस्टम की खास बातें
पुराना सिस्टम उन लोगों के लिए बना है जो विभिन्न तरह की बचत और खर्चों के जरिए अपने टैक्सेबल इनकम को कम करना चाहते हैं।
- बचत के रास्ते: इसमें आप Section 80C, 80D, 24(B) जैसे कई सेक्शन के तहत टैक्स में छूट पा सकते हैं।
- ज्यादा टैक्स स्लैब: इसमें टैक्स की दरें नए सिस्टम के मुकाबले थोड़ी ज्यादा हैं, लेकिन बचत के बाद आपका टैक्स कम हो सकता है।
- चुनाव जरूरी: इस सिस्टम का फायदा लेने के लिए आपको साफ तौर पर इसका चुनाव करना होगा।
किसके लिए कौन सा सिस्टम बेहतर है?
यह फैसला पूरी तरह से आपकी आमदनी और आपकी बचत की आदतों पर निर्भर करता है। मीडिया के अनुसार, निम्नलिखित स्थितियों में आप बेहतर विकल्प चुन सकते हैं:
- नया सिस्टम चुनें अगर: आपकी आमदनी 7.5 लाख रुपये सालाना तक है। आप कोई बड़ी बचत या निवेश नहीं करते हैं। आपका कोई होम लोन नहीं है या आप HRA का फायदा नहीं लेते। आप टैक्स की गणना को सरल बनाना चाहते हैं।
- पुराना सिस्टम चुनें अगर: आपकी आमदनी 7.5 लाख रुपये से ज्यादा है। आप नियमित रूप से LIC, PPF, ELSS, या अन्य निवेश करते हैं। आप होम लोन ले रहे हैं या HRA क्लेम करते हैं। आप हेल्थ इंश्योरेंस पर प्रीमियम भरते हैं।
एक उदाहरण से समझिए पूरा मामला
मान लीजिए, श्री कुमार की सालाना आमदनी 10 लाख रुपये है। उन्होंने LIC, PPF आदि में 1.5 लाख रुपये का निवेश किया है और होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये की बचत का दावा कर सकते हैं।
- नए सिस्टम में: उनकी पूरी 10 लाख की आमदनी पर टैक्स लगेगा, जो कि roughly 78,000 रुपये左右 आएगा।
- पुराने सिस्टम में: बचत घटाने के बाद उनकी टैक्सेबल इनकम होगी 10 – 1.5 – 2 = 6.5 लाख रुपये। इस पर टैक्स होगा roughly 33,000 रुपये左右।
साफ है कि श्री कुमार के लिए पुराना सिस्टम ज्यादा फायदेमंद रहा।
अपने लिए सही फैसला कैसे लें?
अंत में, सही विकल्प चुनने का सीधा तरीका है दोनों तरीकों से अपने टैक्स की गणना करना। आप ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं या किसी आर्थिक सलाहकार से मदद ले सकते हैं। अपनी सभी बचत और खर्चों की एक लिस्ट बनाएं और दोनों सिस्टम में टैक्स की रकम की तुलना करें। जो भी सिस्टम आपको कम टैक्स देना सिखाए, वही आपके लिए बेहतर है। याद रखें, यह फैसला हर साल टैक्स भरते वक्त बदला जा सकता है, इसलिए हर साल इसकी जांच करना जरूरी है।